शनिदेव की कृपा पाने के लिए मन निर्मल, चरित्र शुद्ध और कर्म सात्विक होना चाहिए –शनि न्याय के देवता

इंदौर । कर्मों के फल से कोई बच नहीं सकता। शनिदेव न्याय के देवता हैं। उनका न्याय अंधा नहीं होता। सज्जनों पर कृपा की वर्षा और दुर्जनों को उनकी दुष्टता का दंड देने वाले शनिदेव एकमात्र ऐसे देवता हैं, जो कलियुग में आ रही विकृतियों को दूर कर एक संस्कारवान समाज की स्थापना कर सकते हैं। शनिदेव न तो किसी को अकारण दंडित करते हैं और न ही अनावश्यक कृपा करते हैं। उनकी कृपा पाने के लिए व्यक्ति का मन निर्मल, चरित्र शुद्ध और कर्म सात्विक होना चाहिए। शनिदेव जितनी जल्दी नाराज होते हैं, उतनी ही जल्दी प्रसन्न भी होते हैं। उनकी प्रसन्नता और नाराजगी हमारे कर्मों पर निर्भर होती है।
जिंसी चौराहा स्थित प्राचीन मंशापूर्ण शनि मंदिर पर चल रहे तीन दिवसीय शनि जयंती महोत्सव के समापन प्रसंग पर मंगलवार देर रात महाआरती एवं सम्मान समारोह के दौरान आए हुए संतों ने अतिथि के रूप में उक्त दिव्य विचार व्यक्त किए। क्लब के अध्यक्ष श्याम अग्रवाल, सतीश सेन एवं विनोद व्होरा ने बताया कि शनि जयंती के उपलक्ष्य में मंदिर पर सुबह से शाम तक पूजा-अर्चना, श्रृंगार, वट पूजा, यज्ञ-हवन सहित विभिन्न अनुष्ठानों में दो हजार से अधिक भक्तों ने शामिल होकर शनिदेव की प्रसन्नता के लिए प्रार्थना की और उनसे समाज में सुख, शांति एवं सदभाव की प्रार्थना की। संध्या को हंसदास मठ के महामंडलेश्वर पवनदास महाराज, महामंडलेश्वर रामबालक दास रामायणी, महामंडलेश्वर रामगोपाल दास महाराज, महामंडलेश्वर राधे राधे बाबा, महामंडलेश्वर डॉ. चेतन स्वरूप, लाल मंदिर के महंत दिनेश दास, हंसदास मठ के महंत अमित दास, महंत देवेन्द्र दास, महंत माधव दास, साध्वी प्रियादास, महंत राजेन्द्र दास, महंत गणेश दास, महंत त्रिलोक दास सहित अनेक संत-विद्वानों ने महाआरती में भाग लिया। क्लब की ओर से सभी संतों का सम्मान किया गया। इस दौरान बार-बार शनिदेव के जयघोष से आसमान गूंजता रहा।
कार्यक्रम में पार्षद मनोज मिश्रा, प्रदेश महिला कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष श्रीमती अर्चना जायसवाल, संस्था सेवा सुरभि के संयोजक ओमप्रकाश नरेड़ा आदि ने संतों-महंतों का स्वागत किया। संचालन श्याम अग्रवाल ने किया और आभार माना मोहित अग्रवाल ने। इस अवसर पर क्लब द्वारा प्रकाशित शनि पीड़ा कष्ट निवारण पुस्तिका का वितरण भी एक हजार से अधिक भक्तों को किया गया।